मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

रू-ब-रू : हम भी हैं यहाँ

"एक कुशल पुस्तक विक्रेता वही हो सकता है , जो पाठक या ग्राहक की इच्छाओं के अनुरूप कार्य करे। ग्राहक के समक्ष अच्छी से अच्छी स्तरीय  पुस्तक को प्रस्तुत करे। यह कोई ज़रूरी नहीं है कि पाठक कथाकार संजीव का उपन्यास 'सूत्रधार' या कंपटीशन साइंस विजन मांगे , तो सिर्फ वही दिखाया जाए। यदि संभव हो और पुस्तकें-पत्रिकाएँ मौजूद हो  तो कोशिश यह करनी चाहिए कि पाठक को संजीव की अन्य कृतियों या दूसरी साहित्यिक कृतियों या ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी अन्य पत्र पत्रिकाओं को भी दिखाये। " - श्री राजेन्द्र कुमार , सरस्वती पुस्तक भंडार , बलिया  





ये है अक्षरौटी में प्रकाशित रू-ब-रू स्तम्भ । साथी धर्मेन्द्र मौलवी ने पुस्तक विक्रेता श्री राजेन्द्र कुमार जी का इंटरव्यू लिया है। पढ़िये और अपनी टिप्पणियाँ  दीजिये। यही हमारा मार्गदर्शन करेंगी । 

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